नई दिल्ली, 14 मार्च 2025:
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 1000 कर्मचारियों ने देशभर में 50 जोनों में विरोध प्रदर्शन किया है। वेतन असमानता, पदोन्नति में देरी, स्टाफ की कमी और अन्य कई मुद्दों पर उनकी नाराजगी बढ़ती जा रही है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे विरोध जारी रखेंगे।
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Bank Of Maharashtra के 50 जोनों में कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन किया, लंबित मांगों को लेकर नाराजगी बढ़ी है |
Bank Of Maharashtra मुख्य मांगें और असंतोष के कारण क्या हो सकता है
बैंक के कर्मचारियों और यूनियन नेताओं का कहना है कि उनकी कई लंबित मांगें हैं, जिनमें शामिल हैं पूरा विस्तार से जानते हैं।
- वेतन असमानता: अन्य सरकारी बैंकों की तुलना में कम वेतन मिलने से कर्मचारियों में नाराज है।
- प्रमोशन और करियर ग्रोथ: कर्मचारियों का आरोप है कि योग्य उम्मीदवारों को पदोन्नति नहीं दी जा रही है, जिससे उनके करियर पर असर पड़ रहा है।
- स्टाफ की कमी: कई शाखाओं में कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे काम का दबाव बढ़ते जा रहा है।
- कार्यस्थल की स्थिति: कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं और कार्यस्थल सुधार की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है।
- पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स: सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए बेहतर पेंशन योजनाओं की मांग की जा रही है।
एक कर्मचारी नेता ने कहा, "हमने प्रबंधन को बार-बार अपनी समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन वे केवल आश्वासन देते रहे। अब हमें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा है।"
देशभर में जोरदार विरोध प्रदर्शन
यह विरोध प्रदर्शन Bank Of Maharashtra के मुंबई, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, लखनऊ, चंडीगढ़, भोपाल, जयपुर, मूल्चेरा , नागपुर, गढ़चिरौली और अन्य प्रमुख शहरों में आयोजित किया गया।
बैंक की सैकड़ों शाखाओं में कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया, जिसमें वे बैनर और पोस्टर लेकर अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी कर रहे है। कई जगहों पर बैंकिंग सेवाएं भी प्रभावित हुईं हैं।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन हमारी जायज़ मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है । जब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा, तब तक हम पीछे नहीं हटेंगे।"
Bank Of Maharashtra प्रबंधन और सरकार की प्रतिक्रिया
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि वे कर्मचारियों की मांगों को गंभीरता से ले रहे हैं और इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। प्रबंधन के अनुसार, वे जल्द ही यूनियन नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं।
सरकार ने भी इस मामले पर ध्यान देने का आश्वासन दिया है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "हम बैंक कर्मचारियों की समस्याओं को समझते हैं और समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।"
आगे की रणनीति और संभावित असर
यदि बैंक प्रबंधन और सरकार जल्द समाधान नहीं निकालते, तो कर्मचारी संगठन हड़ताल का ऐलान कर सकते हैं, जिससे बैंकिंग सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं।
ग्राहकों को पहले से ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यदि यह विरोध लंबा चला, तो बैंकिंग लेन-देन, लोन प्रोसेसिंग, एटीएम सेवाएं और अन्य वित्तीय गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।
संघ नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं हैं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं, जिससे देशभर के बैंकिंग सेक्टर में संकट गहरा सकता है।
निष्कर्ष
अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो यह हड़ताल पूरे देश की बैंकिंग व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रबंधन और सरकार इस मुद्दे का हल निकालने के लिए क्या कदम उठाते हैं।